Monday 16 December 2019

इनकी जिंदगी हमेशा के लिए गरीबी के अंधेरे से बाहर निकल जायेगी या फिर..... धीरे धीरे शोर और रोशनी फिर से अंधेरे में गुम हो जायेगी.




Pole malkambh Pic By Pawan Kumar
पास के एयरपोर्ट से उड़ते हवाई जहाज, सपनों की ऊंची उड़ान को पंख दे रही है. तो आसमान के रोशनी रहते दुधिया चमक के साथ निकल आया चांद पूरे आसमान में अपनी चमक छोड़ देने का हौसला प्रदान करता है, और जब बाते आसमान से हो रही हो, बराबरी आसमान से हो रही हो, तो नीचे जमीन की क्या मजाल की आसमान में उड़ रहे सपने को रोक सकेें. पर ऐसा नहीं है कि नीचे पर कतरने के प्रयास नहीं हो रहे हैं. इस प्रयास में मैदान में मौजूद छोटे-छोटे मच्छर भी कुपोषित शरीर से खून चूसने की फिराक में लगे हैं. कुपोषित शरीर खो-खो और मलखम्भ के खिलाड़ियों के हैं. इन्होंने अपनी जीतोड़ मेहनत करके देश राज्य और जिले का नाम तो रोशन कर दिया है, लेकिन इन्हें इस हाल से ऊबारने वाला कोई नहीं है. खेल के मानको के आधार पर निर्धारित भोजन भले ही इन्हें नसीब नो हो पर इनके हिस्से में मेडल जरूर है

कहने के लिए रांची के जगन्नाथपुर थाना के पीछे यह डे बोर्डिंग सेंटर है पर ना खुद का मैदान है ना कोई कमरा है, जहां पर खिलाड़ी अपने सामान रख सकें. सेंटर में ना पानी की व्यवस्था है और ना ही शौचालय की. हां एक समतल जमीन है. एक कोच है. मलखंभ के नाम पर एक खूंटा है. रोप मलखंभ के नाम पर आम पेड़ की डाली से लटकी एक रस्सी है. इतनी कमियों के बीच यहां के खिलाड़ी दिल्ली तक अपनी धाक जमा चुके हैं. बच्चियां झारखंड मलखंभ क्वीन का अवार्ड जीत चुकी हैं. छत्तीसगढ़ और गोवा में अपने खेल का प्रदर्शन कर चुके हैं. खो-खो में भी यहां के बच्चों को बेहतरीन प्रदर्शन रहा है

Rope Malkambh Pic BY Pawan Kumar
लगभग सभी बच्चे ऐसे परिवारों से आते हैं जो अपने बच्चों को क्रिकेट खेलने के लिए कीट खरीद कर नहीं दे सकते हैं. डॉक्टर या इंजीनियर बनाने के लिए पैसे नहीं दे सकते हैं. ऐसे परिवारों के बच्चे एक ऐसा खेल खेलते हैं जिसमें सबसे ज्यादा स्टेमिना की जरूरत पड़ती है. मैदान में जरा सा कमजोर हुए और हार पक्की है. रोप मलखंभ एक ऐसा खेल है जिसमें रस्सी के सहारे झूलकर जमीन पर करने वाले सभी प्रकार के योग क्रियायें की जाती है. कुल 80 प्रकार के योग होते हैं. इसके लिए डेढ़ या फिर दो मिनट का समय होता है. पलक झपकते ही योगमुद्रा बदलनी पड़ती है, वो भी आसमान में लटक कर. चैंपियनशिप के दौरान तो गिरने पर चोट से बचाने के लिए मोटे-मोटे गद्दे होते हैं, पर यहां अभ्यास के दौरान जब सबसे अधिक जरूरत होती है तो नीचे सख्त जमीन गर्दन तोड़ने के लिए तैयार रहती है

Rope Malkambh Pic By Pawan Kumar
पोल मलखंभ में पोल के सहारे की योग क्रिया करनी पड़ती है. इसमें भी गिर जाने पर खतरा कम नहीं है. पर जान-जोखिम में डालकर खेलने वाले इन 10-15 साल के बच्चों को क्या मिलता है, बस उन्हें खुद का सुकून. पर इसके भरोसे पेट नहीं भरता है. जिस राज्य में सिर्फ चुनाव के नाम पर 500 करोड़ रूपये खर्च कर दिये जाते हैं, उस राज्य की राजधानी में इस खेल को खेल रहे बच्चे किसी तरह अपना पेट भरते हैं. इनमें से एक ऐसा बच्चा भी है जो दिन में स्कूल जाता है. शाम में अभ्यास करता है और फिर फूटपाथ पर अपनी चाय-पकौड़ी की दुकान संभालता है. बच्चों के खेल और कौशल को देखते हुए चांद की चमक और बढ़ गयी है. आसमान में उड़ रहे हवाई जहाज का सिर्फ शोर और जगमग रोशनी दिखाई दे रही है. एक सवाल लेकर बच्चों के साथ मैं भी वहां से निकल जाता हूं. क्या रात ढलते ही चांद की बढ़ती चमक की तरह इनकी जिंदगी हमेशा के लिए गरीबी के अंधेरे से बाहर निकल जायेगी या फिर हवाई जहाज के शोर और लाल रोशनी की तरह कुछ दूर जाकर धीरे धीरे शोर और रोशनी फिर से अंधेरे में गुम हो जायेगी




Pole Malkambh Pic by Pawan Kumar