Tuesday 31 March 2020

अरे मीना ऐसे भला कोई छोड़ कर जाता है क्या... 40 दिन के साथ के लिए 40 बरस किया इंतजार ...

अरे मीना.... तुम ऐसे काहे देखती है, हमको बहुत लाज लगता है. तब मीना एक टक होठो पर थोड़ी सी मुस्कान के साथ कहती थी ए जी आपको देख कर मन नहीं भरता है. मीना को गये आज पूरे चार साल 42 दिन हो गये थे. पर  गंदूरा के लिए तो जैसे वो कल की ही बात थी. दसियों एकड़ में फैले उसके खेत के हरियाली के बीच दोनो आकर जब पहली बार बैठे थे. गंदूरा पूरे राज्य के लिए एक जाना माना किसान था. राज्य सरकार ने उसे सम्मानित भी किया था. अपने मां बाप की सेवा करते हुए कब चार दशक बीत गये पता ही नहीं चला था. 


पर जब चार दशक बाद शादी भी हुई तो महज 40 दिन तक चली. काल कभी कभी इतना निर्दयी हो सकता है गंदूरा ने कभी यह नहीं सोचा था. सात जन्मों का साथ निभाने का वाद कर उसके साथ उसके घर आयी उसकी संगिनी ने महज 40 दिनों में गंदूरा का  साथ छोड़कर मौत का दामन थाम लिया. इन 40 दिनों में उसने गंदूरा को इतना प्यार दिया था जितना उसे चार दशक में महसूस नहीं हुआ था. 


दोनों साथ में गुलाबी शहर राजस्थान देखने गये. पर दोनों को क्या पता था कि हवा महल में बीतायी गयी वो शाम उनके जीवन में दुबारा नहीं आयेगी. रेगिस्तान में फैले रेत की तरह उनकी जिंदगी हवा के एक झोंके के साथ बिखर जायेगी. गंदूरा को भी कहां पता था कि उसकी जिंदगी दूर तलक फैले रेगिस्तान में फंसे उस प्यासे मुसाफिर कि तरह हो जायेगी, जो पानी की तलाश में दूर तक देखता है पर नाउम्मीदी के रेत के सिवा उसे कुछ नहीं मिलता है. 

गंदूरा को आज भी याद है जब पहली बार मीना को राजस्थान जाने के लिए हवाई अड्डे पर ले गया था. तब पहली बार हवाई जहाज में बैठते हुए मीना बहुत डर रही थी.पर जैसे ही गंदूरा ने उसका हाथ थामा था वो शांत होकर आंख बंद करके हवाई अड्डे पर बैठ गयी थी और एक ही बात बोली थी, आप है तो फिर किस बात का डर है. पर आज वक्त की कुटिल चाल देखिए मीना 40 दिन अपना प्यार बरसाने के बाद गंदूरा को अकेले तड़पता हुआ छोड़ कर खुद अकेले एक अंनंतहीन यात्रा पर निकल गयी. उसे हुआ भी क्या था. 

गंदूरा आज भी कहता है कि आखिर क्या गलती हुई मेरे से कि एक ऐसी सजा मैं भुगत रहा हूं जिसके लिए मेरा गुनाह सिर्फ इतना था कि मैने मीना से प्यार किया था. गुलजार के शब्द चूरा कर कहूं तो दर्द हलका है सांस भारी है जिये जाने की रस्म जारी है.. आखिर हुआ क्या था उसको, पेट दर्द, अरे मीना ऐसे भला कोई छोड़ कर जाता है क्या. अभी तक तो तुमको ठीक से देख भी नहीं पाये थे.  एक बार तो बताती कि दर्द असहनीय हो रहा है. तुम नहीं बट पाओगे. हम तेरे लिए मौत से भी लड़ जाते रे मीना क्यो छोड़ कर चली गयी हमको. गंदूरा अपने खेत पर उसी जगह पर बैठ कर फूट-फूट कर रो रहा था. जिस जगह पर मीना बैठकर गंदूरा को देखती रहती थी. 

 शाम का वक्त हो चला था. दिनभर जलने के बाद सुरज भी नरम हो चला था.  लाल होकर और बड़ा हो गया था. दूर तक धान कटे हुए खेत थे. पास में बहती एक नदीं के दोनों ओर स्थित पेड़ों में चिड़ियों का झुंड अपने घोसलें के पास आकर चहचहा रहा था. पूरा दिन बीताने के बाद एक साथ परिवार के आने की खुशी थी. पर वहीं थोड़ी दूर पर बैठा गंदूरा एकटक उस डूबते हुए लाल गोले को देख रहा था. लालिमा फैली हुई थी. नदीं पर बहती हुई धारा में लाल परत तैरती हुई दिखाई दे रही थी. 


परिवार से मिलने की खुशी में चिड़ियां चहचहा रही थी पर गंदुरा के मन में उदासी छायी हुई थी. वो घर जाना चाह रहा था पर घर...उसकी दो दुनिया ही चार साल पहले खत्म हो गयी थी. ना चाहते हुए भी गंदूरा उठा और हाथ में लाठी लेकर वक्त की मार से कमजोर हो चुके काया को लाठी के सहारे लेकर धीरे-धीरे घर की ओर निकल पड़ा.