Wednesday, 30 August 2017

एक वक्त ऐसा आयेगा जब हम पूरी तरह इसी दुनिया के होकर रह जाएगें




वाट्सएप, फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम, ब्लॉग, ना जाने कितने ऐसे सोसल साइट्स आज के हाइटेक युग में उपलब्ध है जो आपकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है. आप भले ही शाम के वक्त दोस्तों के साथ वक्त ना बिताएं लेकिन समय मिलते ही सोसल मिडिया में एक्टीव हो जाते हैं. 

शहर की जिंदगी में भागदौड़ तो पहले से ही थी और एक समाज में रहने के बावजूद पड़ोसियों से मिलने का वक्त नहीं निकाल पाते थे और अब तो शहरों की हालत यह है कि लोग अपनों के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं और शायद इसलिये सेल्फी का प्रचलन आया की जब कभी -कभार, भूले -भटके आप दोस्तों से मिलते हैं, परिजनों से मिलते है तो झट से तस्वीरे खींच कर उसे शेयर कर देते हैं. 

क्योंकि यही अब वास्तविक दुनिया बनी जा रही है. वर्चूअल वर्ल्ड ने हमारी जिंदगी में एक खास जगह बना ली है, हम घर बैठे सुविधाएं चाहने  लगे है और धीरे-धीरे एक वर्चुअल वर्ल्ड हम खुद अपने लिए बनाते जाते रहे हैं, जहां दोस्त भी वर्चूअल है, और हम उनसे अपनी बाते भी शेयर करते हैं. सब कुछ हमे वर्चूअल वर्ल्ड में मिल जाता है.

 एक वक्त ऐसा आयेगा जब हम पूरी तरह इसी दुनिया के होकर रह जाएगें, और यही हमे सच लगने लगेगा फिर इंसान समाजिक प्राणी न हीं रह जाएगा. तो इसके खतरे का अंदाजा हम बेहतर लगा सकते हैं कि हम कहां जा रहे हैं किस ओर जा रहे, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना अच्छी बात है, टेक्नोफ्रेंडली होना अच्छी बात है लेकिन उसमे डूब जाना और डूब कर अपनों से दूर हो जाना अच्छी बात नहीं है, हमें याद रखना चाहिए कि सामाजिक प्राणी है और इसी से हमारा अस्तित्व है. 

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