Thursday 31 August 2017

किसी भी युद्ध और हिंसा की त्रासदी क्या हो सकती है, यह उसे देखने वाले झेलने वाले बेहतर बता सकते हैं, पर इस बच्ची को देखकर क्या लगता है.


इस बच्ची का नाम ओमरान  है, पिता का नाम बुथानिया मोहम्मद मंसूर है. पिछले सप्ताह इस बच्ची की तस्वीर यमन के सोसल मीडिया में वायरल हुई. अपने छोटे छोटे उंगुलियों से फूले हुए आंख को खोलने की कोशिश करती ओमरान  महज चार वर्ष की है, जिसे दुनिया राजनीति झगड़े हथियार,को बारे में कुछ पता नहीं है, लेकिन अपने देश में चल रहे युद्ध ने उसे गहरे जख्म दिए है.

यमन के एल्लपो शहर में हवाई हमले में ओमरान घायल हो गयी थी. इस हमले में ओमरान के पिता बथानिया मोहम्मद मंसूर के अलावा कोई नहीं बचा, ओमरान के पूरे परिवार की मौत हो गयी. मै जानता हूं आप सोच रहे हैं मै यह कहानी आपको क्यों बता रहा हू जबकि यह कहानी हमारे देश की है भी नहीं. हां यह मेरे देश की कहानी नहीं है और प्रार्थना करता हूं मेरे देश की किसी भी बच्ची की ऐसी तस्वीर दुनिया के सामने नहीं आये.

बच्ची युद्ध की शिकार है, पर सवाल यह है कि आखिर युद्ध क्यों क्या बातचीत से मसले का हल नहीं किया जा सकता है या बातचीत करने का प्रयास नहीं किया जाता है. दरअसल आज हम ऐसे हथियारों के बीच में जी रहे है जो पूरी इंसनी सभ्यता के लिए एक खतरा है. मारक मिसाइल, केमिकल हथियार जैसे कई तरह के हथियार हमने बना लिए हैं, और हम किसी से कमजोर नहीं है यह सोच युद्ध के लिए प्रेरित करता है. इस लेख पर कई लोगों को मतभेद हो सकता है और होना लाजमी है, कुछ लोग अनपढ़ या गवांर भी समझे, क्योंकि कई ऐेसे बिंदु है जो बिना छुए मैं लिख रहा है.




आतंकवाद का जिक्र मैने नहीं किया है., मै यहां पर युद्ध के खतरे और त्रासदी का जिक्र कर रहा हूं. विश्व समुदाय को ऐसी तस्वीरो को देखकर विश्व शांति की पहल करनी चाहिए. जिंदगी बहुत अनमोल होती है और मुश्किल भरी भी होती, ओमरान इस चीज को भली भांति समझ रही होगी, और जो घाव 4 वर्ष की उम्र में इसे मिला है ताउम्र उसे भूल नहीं पायेगी. ..

फोटो साभार: ट्वीटर, एचटी टाइम्स 

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