बीजेपी के नजरिये से कहे तो माह-ए-गम अगस्त खतम हो गया. माह-ए-गम इसलिए
क्योंकि जाते जाते जीडीपी का ऐसा घाव दे गया जो समूक्षा विपक्ष कई दिनों तक
कुरेदता रहेगा, और जब जब कुरेदेगा तब-तब जीडीपी की याद ताजा हो जायेगी.
क्योंकि जो आंकडे जारी किए गये उसके मुताबिक पहली तिमाही जीडीपी की विकास
दर 5.7 रही तो पिछले तीन सालों में सबसे कम है. पिछले वित्त वर्ष इसी
तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ 709 प्रतिशत थी,
पर पता नहीं इस बार क्या हो
गया, खैर हम अर्थशास्त्र के बड़े ज्ञानी नहीं है जो सब कुछ बता दे लेकिन
बड़े-बड़े अर्थशास्त्री माथा पीट रहें है. नोटबंदी के जिस फैसले
को सरकार बड़ी उपलब्धि बता रही थी, आरबीआई के आंकड़ों ने उन उपलब्धियों
की हेकड़ी निकाल दी. फिर जीडीपी की गिरावट को मुद्दा बनाकर विपक्ष सरकार
हाय-हाय के नारे लगायेगा. लेकिन कुछ भी कहिए कम्बख्त अगस्त बड़ा बेवफा
निकला, उत्तर प्रदेश में सैकड़ों मासूम बच्चों की मौत हो गयी, जिसने
मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था की बखिया उधेड़ दी, अब
जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आये, गलती वर्तमान सरकार की रही हो
या, पूर्ववर्ती सरकार की बच्चों की जान तो वापस नहीं आ जोयगी.
अगस्त महीने
में ही प्रभु जी कि रेल बेपटरी हो गयी, सुना है मरम्मत करने के लिए पटरी
काट दी गयी थी और मरम्मत कार्य चल रहा था, दिल्ली तक खबर भेज दी गयी थी
लेकिन सुना किसी ने नहीं. और टूटी पटरी में रेल दौड़ गयी, और उसका ठीकरा
प्रभु जी ने खुद अपने उपर फोड़ा, अब प्रभु जी के पास 1000 हांथ और 80000
दिमाग तो नहीं है ना कि सब काम खुद करें अधिकारियों को देखना चाहिए था,
खैर
अगस्त में हुए हादसों के बाद सरकार की खूब किरकिरी हुई, इधर झारखंड में भी
यही हाल है, रिम्स के बाहर सुबोधकांत सहाय धरना पर बैठ गये, क्योंकि 28
दिन में 133 बच्चों की मौत हो गयी, जेएमएम ने एमजीएम के बाहर प्रदर्शन
किया, इतना सबकुछ अगस्त महीने में हुआ और माह के आखिरी दिन में क्या हुआ
उपर में इसका जिक्र हो चुका है.
क्या करें इस बार बारिश झमाझम हुई और
सिस्टम के उपर लगी मेकअप की परत हट गयी तो तस्वीर बेपर्दा हो गयी. पर याकिन
मानीये आज अगस्त का अाखिरी दिन है, सितंबर में जरुर मां दुर्गा देश और
जनता के लिए अच्छा संकेत लेकर आयेगी.
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