Saturday 13 October 2018

तुम्हारी आवाज में तल्खी थी. हलांकि हमारा रिश्ता बुरे दौर से गुजर रहा था... लेकिन तुम्हारा यह तल्ख अंदाज मुझे अटपटा सा लगा..


Pic by Pawan Kumar

दिसंबर की ठिठूरती शाम है, हवाओं में हड्डी कपां देने वाली सिहरन है. सोच तो रहा था कि शाम के वक्त घर में बैठकर मां के साथ बातें करूंगा, लेकिन तब ही तुम्हारा फोन आ गया. तुमने कहा कि शहर के पश्चिम में स्थित ऊंची पहाड़ी के पास स्थित रेस्त्रां के ऊपरे तल्ले पर तुम मेरा इंतजार कर रहे हो. तुम्हारी आवाज में तल्खी थी. हलांकि हमारा रिश्ता बुरे दौर से गुजर रहा था... लेकिन तुम्हारा यह तल्ख अंदाज मुझे अटपटा सा लगा. मैने तुंरत जैकेट पहना....मां ने हड़बड़ाते देख मुझे गलाबंद देते हुए पूछा इतनी जल्दबाजी में कहां जा रहे हो. जवाब में मैने कहा बस तुरंत आता हूं. मैने अपनी बाइक ली और पांच मिनट में मैं उस पहाड़ी के रास्ते पर था. शाम के चार बज रहे थे, जल्दबाजी में मैने हैंड ग्लॉव्स नहीं पहना था, सर्द हवाओं के कारण हाथ जकड़ा जा रहा था, पर पहुंचने की  जल्दी के चलते स्पीड कम नहीं हो रही थी... 

google image


तुम तो शाम करे वक्त घर से नहीं निकलती थी, शादी के बाद तो बिल्कुल नहीं पर आज अचानक क्या हो गया तुम्हें, मन में कई तरह के ख्याल आ  रहे थे. इसी उधेड़बुन के बीच में कब ऊंची पहाड़ी वाला रेस्त्रां पहुंच गया, बाइक पार्क की और सीधा ऊपर छत पर चला गया. तुम सबसे किनारे वाली उसी कुर्सी पर बैठी थी, जहां से पूरा शहर दूर-दूर तक दिखाई पड़ता था. सूरज दिन की अपने अंतिम यात्रा पर था, सर्द शाम में उसकी लालिमा तुम्हारे सिंदूर की तरह लाल दिख रही थी....हां मगर वो सिंदूर मेरे नाम का नहीं था. तुम्हारी शादी के बाद भी हम दोनों अक्सर मिलते थे. पर आज तुम्हारा चेहरा खिला हुआ नहीं था. तुम्हारी नजरे कहीं और देख रही थी. मैं तम्हारे सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया.....



google image 
तुम आज बदले हुए दिख रहे थे. मै पूछने वाला था कि क्या हुआ, उससे पहले तुमने कहा अब हमदोनो के बीच कुछ रिश्ता नहीं है....तुम पहले भी इस तरही की बाते मजाक में करते थे...पर आज तुम्हारी आवाज में तल्खी थी...मैने पूछा क्या हुआ....तुम ऐसे कैसे कोई फैसला कर सकते हो. शाम के साथ तुम्हारी आवाज भी गहरी हो रही थी, ढलते सूरज का सूर्ख लाल रंग फीका धूंधला पर रहा था. रेस्त्रां के छत पर सिर्फ हमदोनों थे..और चारों ओर खामोशी थी....मैने कहा कि क्या यह तुम्हारा अंतिम फैसला है.. उसने फिर गुस्से में कहा हां.....तंग आ गयी हूं मै तुमसे....तुम मेरे लायक नहीं हो....पता नहीं मैने तुमसे क्यों प्यार किया....आज के बाद मेरे ख्याल में भी मत आना.....एक सांस में तुम सब कुछ कह गये.....तुम उठे और जाने लगे...मैने कहा चलो मैं छोड़ देता हूं....कम से कम आखिरी बार तो इस पहाड़ी रास्ते पर एक साथ चले....



मेरी बाइक धीरे-धीरे ढलान से उतर  रही थी.... मेरे गालो से मेरा सब्र नीचे उतर रहा था....तुम्हारा घर पास आ रहा था....मै तुमसे दूर जा रहा था....वो चुपचाप मेरे पीछे बैठी हुई थी....फिर उसने कहा....सुनो मेरा इंतजार मत करना...मैने कहा मैं करूंगा....उसने कहा कब तक....दशकों का तजुर्बा तुम्हारे चेहरे पर दिखाई देने लगे तब भी मैं सिर्फ तुम्हारा इंतजार करूंगा....इस उम्मीद में कि कम से कम एक दिन तुम्हारे साथ तुम्हारा होकर जी सकूं....आज कई बरस बीत चुके हैं.....मुझे उम्मीद है तुम जरूर आओगे....मेरी आखिरी ख्वाहिश पूरी करने के लिए......

Friday 5 October 2018

हीरादह धाम: यहां आकर आप एक चीज जरूर सीखेंगे की जीवन में कितनी भी कठिनाई हो निरंतर प्रयास से आप जरूर आगे बढ़ सकते हैं.

Pic by Pawan


जीवन में कठिनाइयों के बीच पत्थर को चीर कर आगे बढ़ने का गुण सिखाती  शंख नदी
नदी अपना रास्ता खुद बना लेती है और अगर कोई उसकी तेज धार के बीच में आता है तो वह उसे तहस-नहस करके आगे बढ़ जाती है. गुमला जिले के रायडीह प्रखंड स्थित हीरादह धाम इस बात की तस्दीक करता है. हीरादह धाम एक दर्शनीय स्थल होने के साथ-साथ एक धार्मिक स्थल भी है. यहां पर भगवान भास्कर का मंदिर बना हुआ है और भगवान जगन्नाथ का भी छोटा सा मंदिर है. हीरादह में लगे हुए साइन बोर्ड के अनुसार इस श्री हिंदू धर्म रक्षा उपकेंद्र की स्थापना 1951 में हुई थी.  यह श्री 1008 श्री रामरेखा धाम सिमडेगा से जुड़ा हुआ है. हीरादह धाम शंख नदी की तट पर स्थित है.
Pic by Pawan Kumar

Pawan Kumar

pawan Kumar

Pawan Kumar



शंख नदी यहां पर पूरे वेग के साथ बहती है. मंदिर के पीछे बीच नदी पर मौजूद चट्टान का चिकना पहाड़ इसका प्रमाण है. यहां फुटबॉल ग्राउंड जितना बड़ा चट्टान का मैदान है, जो बिल्कुल समतल है. पानी के बहाव के कारण यह चिकना और समतल हो गया है. जिसके कारण अपने आप में अनोखा प्रतीत होता है. इतना ही नहीं पानी के तेज घुमाव के कारण बीच चट्टान पर छोटे- बडे कुंड बने हुए हैं, जो इस बात की गवाही देने के लिए काफी है की शंख नदी और नदी के रास्ते में पड़ने वाले चट्टान का संघर्ष सदियों पुराना है. चट्टान में बने कुंड 10 फीट तक गहरे हैं और उनमें पानी भरा हुआ है. उन कुंड में घुसने के मनाही है क्योंकि यह जानलेवा साबित हो सकता है. अंदर में और फिसलन हो सकती है,ओर उसके अंदर गुफानुमा छेद भी हो सकता है जिससे पानी अंदर घुसता है और बाहर निकलता है. देखने में यह कुंड बेहद ही खूबसूरत दिखाई देता है और पिकनिक स्पॉट की तरह है. 

Pawan Kumar

Pawan Kumar

Pawan Kumar

Pawan Kumar



हीरादाह धाम के आस-पास भी प्रकृति ने असीम सुंदरता बिखेरी है. नदी के दोनो ओर स्थित उचें पहाड़ और घने जंगल इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. शंख नदी छोटा नागपुर पठार के पश्चिमी छोर में उत्तरी कोयल के विपरीत प्रवाहित होती है. यह गुमला जिला के रायडीह के दक्षिण से प्रारम्भ होती है. उद्गम स्थल के आरंभ में यह नदी काफी संकरी एवं गहरी खाई का निर्माण करती है. अपने प्रवाह मार्ग में यह राजाडेरा के पास 200 फीट ऊंचा जल प्रपात बनाती है, जो सदनी घाघ जल प्रपात के नाम से जाना जाता है.

Pawan Kumar

Pawan Kumar

Pawan Kumar



अगर आप झारखंड की प्राकृतिक सुंदरता को देखना चाहते हैं तो हीरादह धाम आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है जिसे अभी तक बहुत कम लोगों ने ही एक्सपेलोर किया है. यहां आने के लिए दिन भर का समय लेकर चलना होगा. रांची से ढाई घंटे के सफर के बाद आप यहां पहुंच सकते हैं. रांची गुमला आने के बाद आपको गुमला के मांझाटोली से बायें मुड़ना पड़ता है. बायें मुड़कर आगे जाने के बाद रायडीह गांव से आगे जाने के बाद रमजा गांव पहुंचा जाता है. रमजा गांव के अंदर घुसकर रास्ते से आप सीधा हीरादह धाम पहुंच सकते हैं. खाने-पीने का इंतजाम आप खुद कर ले और यह सुनिश्चित कर ले की आपके वाहन में तेल खत्म नहीं होगा और चारों टायर अच्छे कंडीशन में हैं. 14 जनवरी को यहां मकर संक्राति के अवसर पर विशाल मेला लगता है. यहां आकर आप एक चीज जरूर सीखेंगे की जीवन में कितनी भी कठिनाई हो निरंतर प्रयास से आप जरूर आगे बढ़ सकते हैं.