
जरा सा खंजर की तरफ क्या देखा हमने
हम गुनहगार हो गये,
इंसानी खून से लाल हुई थी जमीन
उसे साफ करने में जरा मेरे हांथ लाल क्या हुए
सबकी नजरों में हम दागदार हो गये,
वाह री दुनिया और तेरा इंसाफ
वो खेले कानून से तो खेल-खेल रहें हैं
हमने इंसाफ के लिए आवाज क्या उठाई गद्दार हो गये,

ताउम्र उठाया इंसानियत और सच्चाई को कंधे पर
थककर जरा सा सुस्ता क्या लिये
जमाने के लिए हम गैर जिम्मेदार हो गये,
मुफलिसी नहीं देखी जाती किसी की
जेहन की कमजोरी है मेरी
उनके लिए आवाज क्या उठाई
सबके लिए सरदार हो गये
कंबख्त दिल की ख्वाहिश बहुत बड़ी है सोचता है कभी- कभी
ईमान बचाकर क्या मिला मुझे
जिन्होंने ईमान बेचा सियासत की
आज वो सरकार हो गये.
No comments:
Post a Comment